नमस्कार दोस्तों ,आज आप इस लेख में 3 inspirational person jo aapko aapke Lakshya ke or lekar jayegi उनके बारे में बताऊंगी ।
आज मैं ऐसे शख्स के बारे में बात करने जा रही हूं जिसके बारे में जानकर आपको हैरानी होगी ।
Amogh lila की संघर्ष की कहानी
Contents
हमें से कई लोग ऐसे हैं जो आराम से जिंदगी जीना पसंद करते हैं लेकिन अमोघ लीला प्रभु ने संत बनने का निर्णय लिया और ऐसो आराम की जींदगी से अपने आप को दूर रखा ।
इन्होंने कम उम्र में ही संत बनने का निश्चय कर लिया था । इतना पढ़ने के बाद आपके मन में कई सवाल आ रहे होंगे कि उन्होंने संत बनने का निर्णय क्यों लिया ? उनकी क्वालिफिकेशन क्या है ? उनके माता पिता क्या करते थे ? इन सब की जानकारी आपको आज इस लेख ( 3 inspirational person jo aapko aapke Lakshya ke or lekar jayegi ) के जरिए मिलने वाली है ।
अमोघ लीला गुरु का असली नाम आशीष अरोड़ा है इनका जन्म लखनऊ में हुआ । कई लोगों ने कहा तुम्हारी उम्र मजे मारने की है न की तपस्या करने की ।
आपको भी जीवन में कई लोग मिलेंगे जो आपको disturb करेंगे लेकिन डटे रहना है बिल्कुल इन inspirational Person की तरह ।
इस्कॉन मंदिर में अमोघ लीला प्रभु एक उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं ।भगवत गीता के श्लोक पढ़कर लोगों को सही राह में चलने की शिक्षा देते हैं ।
अमोघ लीला प्रभु के परिवारिक संबंधों के बारे में बात करें तो इनके परिवार में माता-पिता के अलावा दो बहने भी हैं ।
अमोघ जी के पिताजी RAW के ऑफिसर के पद पर कार्य करते थे ।पापा की पोस्टिंग विभिन्न शहरों में होती रहती थी ।
अमोघ लीला जी ने बारहवीं कक्षा करने के बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर की पढ़ाई पूरी की । बचपन में ही इनकी माताजी को एक संत ने बता दिया था कि अमोघ लीला बड़े होने के बाद एक बड़े संत के रूप में जाने जाएंगे ।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के बाद इन्होंने नौकरी की लेकिन वह नौकरी छोड़ दी फिर ISKON मंदिर में इन्होंने ब्रह्मचारी रहने का निर्णय किया और प्रभु की सेवा में अपना जीवन व्यतीत करने का मन बना लिया ।
कहा जाता है कि जब अमोघ लीला दास सातवीं कक्षा में थे तब इन्होंने भगवत गीता के 5 श्लोक पढ़े थे ।श्लोक पढ़ने के बाद उन्होंने अपने टीचर से बच्चे की तरह के भगवत गीता के बारे में पूछा । टीचर ने कहा कि भगवत गीता में 700 श्लोक हैं तबसे अमोघ लीला प्रभु के मन में सवाल आया कि पांच श्लोक ने मुझे इतना ज्ञान दे दिया यदि मैं 700 श्लोक पढ़ लूं तो मैं जीवन कैसे व्यतीत करना चाहिए यहां समझ जाऊंगा तब से इनके मन में आध्यात्मिकता की ओर झुकाव बढ़ गया ।
जैसे कि मैंने आपको बताया कि बचपन में ही उनके मन में विचार आ गया था कि अगर मैं भगवत गीता के 700 श्लोक पढ़ लो तो जीवन का लक्ष्य पता चल जाएगा । इसके साथ उनके मन में हमेशा कृतज्ञता की भावना रही है ।वह हमेशा भगवान के सामने शुक्रिया अदा करते थे कि उन्होंने जीवन में उन्हे सब कुछ दिया ।
उन्होंने 1 दिन सोचा कि लोग तन से कम और मन से ज्यादा दुखी है तो क्यों न मैं लोगों की मन की सेवा में लग जाऊं ।
एक बार इन्होंने घर से भाग जाने का निर्णय लिया कई लोगों से मुलाकात हुई जब वे घर छोड़कर भाग गए थे । Modern life or spiritual life में कौनसी Life बेहतर है उन्हें समझ आ गया था ।
इन्होंने लोगों की कड़वी बातों को ध्यान नहीं दिया कई लोग आते थे और कहते थे कि तुम इकलौते पुत्र हो तुम संत बन जाओगे तो तुम्हारे माता-पिता को कौन देखेगा ?
कई बुरे समस्या का सामना करते हुए इन्होंने कभी भी निराशा अपने अंदर आने नहीं दी ।
कुछ लोग जो संत के रूप में कार्य कर रहे थे वे या तो दमड़ी या चमड़ी के पीछे दीवाने थे लेकिन जब अमोघ दास गुरु ने द्वारिका कदम रखा तब उन्हें अपने गुरु के रूप में अच्छे सज्जन मिले जिनसे वे बहुत प्रभावित हुए ।फिर उन्होंने अपनी सारी जिंदगी इस्कॉन मंदिर में रहने का विचार बना लिया ।
ब्रह्मचारी के रूप में वे सारे युवाओं को प्रेरित करते हैं और आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने की सलाह देते हैं ।
एक संत के रूप में उन्होंने अपनी सारी जिंदगी व्यतीत करने का मन बनाया है आज भी इस्कॉन मंदिर के उपाध्यक्ष हैं । जो लोग निंदा करते थे आज उन सब लोगों का अमोघ लीला दास पर भरोसा है और गर्व से कहते हैं कि यह नौजवान हमारी पहचान का है।
Amogh lila कहते है जीवन में consistent कैसे रखें ? [3 inspirational person jo aapko aapke Lakshya ke or lekar jayegi ]
- विफलताओं का डर–
जिस व्यक्ति के अंदर में होता है वह कभी कदम ही नहीं उठाता ।अमोघ दास कहते हैं असफलता सबसे अच्छी टीचर है जो समझाती है कि विपत्तियों के समय हार नहीं मानना चाहिए और संघर्ष करके सभी चुनौतियों का सामना करना चाहिए ।जीत गए तो खुशी की बात है अगर विफल हो गए तो मतलब हमने कुछ सीखा है यहां Win Win situation हुई ।
जितने भी सफल व्यक्ति आपने अपनी जिंदगी में देखे होंगे वे लोग असफलता का चेहरा देखते हुए ही आगे बढ़े हैं उनका कहना है कि असफलता सफलता की opposite नहीं है बल्कि सफलता का एक हिस्सा है जिसे पार किए बिना हम सफलता को नहीं पा सकते।
- Higher taste होना चाहिए –
उनका कहना है कि मैं पंजाबी हूं हमारे घर में जब भी चाय बनती थी तो बिना हमसे पूछे हमारे लिए चाय बन जाती थी क्योंकि हम इसके आदि थे ।उनका कहना है जब मैं प्रभु की शरण मैं लग गया तो मेरा higher taste हो गया तब मैं lower taste को भूल गया, यहां lower taste वह चाय को कह रहे है । इसलिए यदि आपको कुछ पाना है तो हमेशा higher taste रखें ।
- बूरी संगत से दूर रहे –
आपने ऐसे लोग देखे होंगे जिन्होंने जीवन में कुछ हासिल नहीं किया है आप अपने आप को ऐसे संगत में रखते हैं तो यकीन माने आप भी जीवन में कुछ नहीं कर पाएंगे ।इसलिए अपनी संगत ऐसे ही ढूंढिए जो आपको आपके काम की ओर प्रेरित करें न कि दूर रखें ।
- डिस्ट्रक्शन से दूर रहे –
आज हमारे चारों ओर Gadget है जिसके कारण हम main work पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं यदि आप कुछ पाना चाहते हैं तो निश्चय करें कि अपने कार्य के दौरान आप किसी प्रकार का भी गैजेट न्यूज़ नहीं करेंगे । यदि आप distraction हो रहे हैं तो कुछ समय के लिए इनसे दूरी बनाना अनिवार्य है ।
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मुसीबतों के सामने जो घुटने नहीं देखता है वह अपनी पहचान बना ही लेता है ।
पूनम देवनानी कौन है और क्या हैं इनके संघर्ष की कहानी
जिस शख्स के बारे में बात करने वाली हूं उनकी उम्र 57 है । जी हां वह और कोई नहीं पूनम देवनानी है ।
सोशल मीडिया में पूनम का नाम इतना प्रसिद्ध हो गया है कि हर कोई इनके बारे में जानता है ।अगर आप पूनम के बारे में अच्छे से जाना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पढ़े ।
पूनम देवनानी की रेसिपी आज देश-विदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है ।
यूट्यूब में 2 चैनल है । पहले चैनल का नाम है “किचन मास्टर ” दूसरे चैनल का नाम है “मां ये कैसे करूं “?
पूनम के आर्थिक स्थिति सही नहीं थी इसी कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की लेकिन पूनम को बचपन से ही किचन में कम सामान में अच्छे-अच्छे पकवान बनाने का हुनर था यही हुनर उनकी ताकत बन जाएगा उन्हें भी नहीं मालूम था ।
पूनम की उम्र मात्र 8 वर्ष की थी जब उनकी शादी करा दी गई । एक अच्छी बहू के नाते उन्होंने अपने सारे रिश्ते अच्छे से निभाए लेकिन एक दिन ऐसा आया कि उन्हें लगा कि मुझे कुछ करना चाहिए ।
अपने बड़ों से इजाजत ली फिर घर में ही बच्चों को खाना कैसे बनाते हैं वह सिखाने लगी ।
2004 में कई लोगों को पूनम अपने किचन में खाना कैसे बनाते हैं सिखाने लगी ।कुकिंग क्लास में लोगों को रोज नया सिखाने का हुनर इनमें था इसलिए इनकी तारीफ भी बहुत हुई और घर में भी आर्थिक समस्या से राहत मिली ।
फिर एक चुनौती उनके सामने आई जो थी कोरोनावायरस । हम सब जानते हैं कि कोरोनावायरस के कारण कई लोगों का काम बंद हो गया उनमें से एक पूनम भी थी । फिर भी पूनम ने हार नहीं मानी उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल क्रिएट करने का इरादा बनाया ।
कहते हैं लोगों का उदाहरण देना बहुत आसान है लेकिन खुद एक उदाहरण बनना बहुत मुश्किल ।पूनम ने तब तक हार नहीं मानी जब तक उन्होंने एक आइडल के रूप में अपने आप को पेश नहीं किया ।
पूनम की छोटी सी पहल आज इतनी बड़ी कामयाबी के रूप में सामने आई है कि हर कोई उनके जैसा बनना चाह रहा है ।
उनके फेसबुक में आठ लाख और इंस्टाग्राम में 33,000 फॉलोअर हैं ।इन्हें 27 जून 2020 में यूट्यूब की तरफ से गोल्ड बटन भी मिला है ।अपनी Passion को ही इन्होंने प्रोफेशन बना लिया ।
इनका कहना है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती जब जज्बा हो खुद के अंदर तो कौन सी समस्या आपको रोक सकती है ।इन्हें अपने काम के प्रति इतना जुनून था कि 50 से अधिक नई डिश और प्रीमिक्स यह बना चुके हैं ।
2017 में इन्होंने युटुब चैनल क्रिएट किया तब से इन्हें देशभर के लोग जानने लग गए ।मसाला किचन में इनके 1.9 मिलियन सब्सक्राइबर है यह चैनल इन्होंने 2017 में create किया था ।
पूनम देवनानी के बच्चे पढ़ाई पूरी करने के लिए बाहर रहते हैं ।जब उन्हों कोरोनावायरस के कारण बाहर का खाना बंद करना पड़ा ।तब वहां अपनी मां को पूछते थे कि मां मैं खाना कैसे बनाऊं ?मैं चाय कैसे बनाऊं ?
पूनम ने सोचा कि यह समस्या तो हर एक बच्चे को झेलनी पड़ रही होगी तो क्यों ना मैं एक और चैनल क्रिएट करूं जिसमें मैं छोटी सी छोटी बात भी बच्चों को समझा सकूं ।
तब पूनम ने एक और चैनल बनाया जिसका नाम रखा “मां ये कैसे करूं” इस चैनल को लोगों ने इतना पसंद किया कि 6 महीने के अंदर ही इसमें ढाई लाख सब्सक्राइबर बन गए ।
पूनम को प्यार सिर्फ भारत की तरफ से नहीं बल्कि अमेरिका ,ऑस्ट्रेलिया ,दुबई ,कनाडा आदि से मिलता है ।
कहते हैं न अगर कोई अपना अपने तारीफ कर दें तो बहुत हौसला बढ़ जाता है ।पूनम के साथ ऐसा ही हुआ उनके ससुर जी उनके खाने की तारीफ बहुत करते थे हमेशा उन्हें अन्नपूर्णा कहकर बुलाते ।उनकी यही बात पूनम को बहुत अच्छी लगती थी ।
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Harmanpreet kaur की संघर्ष की कहानी (खेल जगत कैसे पहुंची हरमनप्रीत कौर ? )
आज की डेट में कोई भी महिला पीछे रहने वाली नहीं है आज हम जिस नारी की बात कर रहे हैं उनका नाम है हरमनप्रीत कौर ।भारतीय नारी हरमनप्रीत कौर भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपनी चर्चा करा रही है ।टी 20 और वन डे की कप्तान हरमनप्रीत कौर रह चुकी है ।
बिग बैश लीग में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट जीतने वाली हरमनप्रीत कौर पहेली महिला है । लोग कुछ बातें हरमनप्रीत के बारे में जानते हैं लेकिन आज आप इस लेख में हरमनप्रीत कौर के बारे में दिलचस्प बातें जानेंगे ।आज आपको पता चलेगा कि वह खेल जगत तक कैसे पहुंचे ?
बात हो टीम में शामिल होने की या उप कप्तान बनने की सभी बातें इस लेख में बताई जाएगी ।
उनका जन्म 8 मार्च साल 1989 में हुआ था यानी कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन इनका जन्म हुआ ।
दिलचस्प बात तो यह है कि हरमनप्रीत कौर बचपन से ही खेल से जुड़ी थी क्योंकि इनकी पिताजी जिनका नाम हरमिंदर सिंह है वह एक अच्छे वॉलीबॉल और बास्केटबाल खिलाड़ी रहे हैं ।
स्कूल इनका 30 किलोमीटर दूर होने के बावजूद भी हरमनप्रीत कौर का स्कूल में दाखिला लिया ।कमलदीश सिंह इनके पहले गुरु थे जो क्रिकेट की बारीकियों को समझाते थे ।
Virender Sehwag को हरमनप्रीत कौर ने बचपन से देखा था उनकी इच्छा थी कि वहां क्रिकेट टीम में अपनी एक जगह बनाएं । वह हर रोज मैदान में लड़कों के साथ कभी फुटबॉल ही आ वॉलीबॉल खेला करती थी 1 दिन Kamaldeep Singh Sodhi हरमनप्रीत कौर के पास आए और कहते हैं कि मैं तुम्हें रोज देखता हूं लड़कों के साथ कोई न कोई खेल खेलते हुए । तुम्हें कौन से गेम में interest है ?
अपने sir को हरमनप्रीत कौर ने कहा कि मुझे क्रिकेट खेलने में दिलचस्पी है ।मुझे क्रिकेट के बारे में ज्यादा तो नहीं मालूम लेकिन टीवी में वीरेंद्र सहवाग को देखने के बाद मुझे क्रिकेट बहुत अच्छा लगने लग गया है इसलिए मैं इसे अपना करियर बनाना चाहती हूं ।
उस समय हरमनप्रीत कौर ने दसवीं की कक्षा के एग्जाम दिए थे । उसने sir वार्तालाप की क्या लड़कियां भी क्रिकेट खेलती है ? जवाब मिला कि हां लड़कियां भी क्रिकेट खेलती है ।
छुट्टियों का 3 महीने मिला था उस दौरान सर ने कहा कि लड़कियों भी क्रिकेट खेलती है अगर तुम दिलचस्पी रखती हो तो कल से ही Join कर लो । हरमनप्रीत के Papa और sir की 15 मिनट वार्तालाप हुई और तय हो गया कि मैं कल से क्रिकेट खेलने जाऊंगी ।
अगले ही दिन मेरा स्कूल का uniform आ गया मेरे सब दोस्त मजाक बनाते थे कि तुम सुबह 7:00 से रात के 7:00 बजे तक बिजी रहती हो ।
हरमनप्रीत के माता-पिता हमेशा प्रोत्साहित करते रहते थे वे कहते थे कि जितना तुम्हारा पढ़ने का मन है उतना पढ़ो बाकी जिस कार्य में तुम्हारी रुचि है तुम उसमें ध्यान दे सकती हो ।
आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के बावजूद भी हरमनप्रीत के पिता पूरी कोशिश करते थे कि वे उसके सारे सपने पूरे करें ।
हरमनप्रीत के पास आराम की जिंदगी न होने के बावजूद भी उन्होंने अपने इरादे नहीं बदले और संघर्ष के रास्ते पर चल पड़ी आज हम सब जानते हैं कि हरमनप्रीत कौर किस मुकाम पर है तो हमें समझना चाहिए कि हमें विपत्तियों से घबराना नहीं बल्कि होश में रहकर उनका सामना करना है ।
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